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Wednesday, April 20, 2011
Saturday, January 10, 2009
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
चिता के आहट से पहले
राख कैसे छा गया ?
वक्त का दीमक ये कब
परिंदे का पर खा गया ?
जाल को जुगनू ने ही चुना था,
अब छिप गया क्यूँ खाल में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
भीड़ की हर शाखों पर,
फन्दों सी लटकी है क्यूँ टाई ?
सुलझे फीते वाले जूते,
कब भेंट दे गएँ तन्हाई ?
पंख वाले बुलबुलों ये कैसे ?
दब गएँ दीवारों में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
तनहा रोकर बारिशों में,
हौले हौले जल रहा,
तारों का सपना कभी था,
आज मैं ही ढल रहा...
राख कैसे छा गया ?
वक्त का दीमक ये कब
परिंदे का पर खा गया ?
जाल को जुगनू ने ही चुना था,
अब छिप गया क्यूँ खाल में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
भीड़ की हर शाखों पर,
फन्दों सी लटकी है क्यूँ टाई ?
सुलझे फीते वाले जूते,
कब भेंट दे गएँ तन्हाई ?
पंख वाले बुलबुलों ये कैसे ?
दब गएँ दीवारों में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
तनहा रोकर बारिशों में,
हौले हौले जल रहा,
तारों का सपना कभी था,
आज मैं ही ढल रहा...
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हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...
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Y - What?... Philosophy ! You mean to say, you spent your whole graduation sitting near by the banks of Ganges, intoxicated in some damn fu...
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जब कभी, मेरे पैमाने में, ख्वाइशों के कुछ बूंद छलक जाती हैं, तुम्हारी यादों की खुशबू, बहकी हुई हवाओं की तरह, मेरे साँसों में बिखर जाती हैं, ...
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यूँ तो अक्सर, संवेदनाएं... हावी तुमपर रहती हैं, पर, इस शाम जन्मे, अपने बेचैनी के अनल में, मुझको चुपके झोंक देना; पन्नो में सिलवट पड़े तो, शब्...