चिता के आहट से पहले
राख कैसे छा गया ?
वक्त का दीमक ये कब
परिंदे का पर खा गया ?
जाल को जुगनू ने ही चुना था,
अब छिप गया क्यूँ खाल में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
भीड़ की हर शाखों पर,
फन्दों सी लटकी है क्यूँ टाई ?
सुलझे फीते वाले जूते,
कब भेंट दे गएँ तन्हाई ?
पंख वाले बुलबुलों ये कैसे ?
दब गएँ दीवारों में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
तनहा रोकर बारिशों में,
हौले हौले जल रहा,
तारों का सपना कभी था,
आज मैं ही ढल रहा...