शहर में गले मिल मिलकर ,
मेरी आदत बिगड़ गयी है,
गली में भौकता कुत्ता भी अब,
मुझे सगा सा लगता है॥
दरबाजो पर दस्तक देता हूँ उनके,
अंदर फिर कब्रिस्तान दिखता है,
मैं गलियों में बस खोजता हूँ कोना,
मेरी आदत बिगड़ गयी है,
गली में भौकता कुत्ता भी अब,
मुझे सगा सा लगता है॥
दरबाजो पर दस्तक देता हूँ उनके,
अंदर फिर कब्रिस्तान दिखता है,
मैं गलियों में बस खोजता हूँ कोना,
जन्हा कुछ ख़ुशी बिकता है..