मेरे अन्दर एक दीमक है
वक़्त-बेवक्त
ख्यालों में सीलन लगने पर जाग जाता है
और धीरे धीरे चबाने लगता है
ख्वाइशों का एक एक पन्ना
जब पेट की भूख
सूखे पत्तों की तरह खड़ खड़ाने कर जलने लगती है,
तब
उसे शांत करने के लिए
समाज से बाल्टी भर पानी उधर ले आता हूँ
पानी सूंघते ही ख्यालों के जबड़ों में सीलन लग जाती है
दीमक जाग उठता है