Friday, January 06, 2012

Vulgarity

दीमक
खरोचते हैं
लकड़ियों को
उन्हें भूख से ज्यादा
लकड़ियों की रूखी आवाज़ पसंद है
सच कहूँ तो,
उस रूखी आवाज़ में जो vulgarity होती है
मुझे कई रात जागने पर मज़बूर कर देती है  
मैं जागता हूँ, क्यूंकि 
मुझे दीमक वाले ख्यालों के साथ
सोने में डर लगता है

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...