दीमक
खरोचते हैं
लकड़ियों को
उन्हें भूख से ज्यादा
लकड़ियों की रूखी आवाज़ पसंद है
सच कहूँ तो,
उस रूखी आवाज़ में जो vulgarity होती है
मुझे कई रात जागने पर मज़बूर कर देती है
मैं जागता हूँ, क्यूंकि
मुझे दीमक वाले ख्यालों के साथ
सोने में डर लगता है
2 comments:
I don't see vulgarity in such fine piece of music.....
It is a way of life some of them love to live with .....
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