तुम्हारा DNA basis अलग होगा,
और मेरा शायद अलग
तुम्हारी चमड़ी गंगा से धुली होगी
हमारी जन्मजात नाले में घुली होगी
तुम फूल बनकर जन्मे थे,
मैं दलदलों में कहीं सड़ता होऊंगा
मेरी परछाईं भी,
तुम्हारे पुरखों का धर्म भंग करती है
मृत आत्माओं की तरह,
तुम्हे सुबह शाम तंग करती हैं
तुम्हारा भगवान्,
मंदिर के अन्दर बैठता है
और मेरा भगवान्,
सीढियों पर बैठ कर, सालों से
अन्दर जाने का इंतज़ार कर रहा है
कमाल है भाई साहब,
आप कुत्तों को भी पालते हैं, पुचकारते हैं
चाटते हैं
आदमी छूने में आपकी फट लेती है