Thursday, May 10, 2018

साधारण

आदम और हव्वा
पानी की तरह उट्ठेंगे,और, 
पानी में पानी बनकर 
पानी में बह जायेंगे

आदम और हव्वा
भीड़ में लेंगे जन्म, और, 
भीड़ में बनकर भीड़ 
भीड़ में ही खो जायेंगे

आदम और हव्वा
दुनिया में आते भी जायेंगे, और 
दुनिया के नक़्शों पर चलकर 
दुनिया से जाते भी जायेंगे

फीकी दुनिया के मेले में,
तुम से उम्मीदें थी काफी 
लेकिन, मेरे दोस्त, 
तुम भी, 
मेरी तरह साधारण निकले

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...