तुम्हारी तस्वीर, आज भी बस, बटुए में महफूज़ है
तुम्हारे हमशक्ल से गुज़ारा चला लेता हूँ आज कल
ज़िन्दगी कुछ देर और ऊँगली पकड़ लेना; लड़खड़ाने लगा हूँ
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...