मुददतों से रौशनी ख़ामोश है,
वक़्त की दरख़्त पर,
उम्मीदों की ख़रोच का नामोनिशां कंही है नहीं।
और,
शून्य सी खड़ी है वही शीशे की दीवार;
एक तरफ़ ठण्ड में ठिठुरता रहता है चाँद,
और एक तरफ़ हुक्के के धुंए में जिंदगी मदहोश है।
तुम्हारी रोशनदानी में जब मैं झांकता हूँ,
दिखता है वही चराग़
बेचैन, इंक़लाब के जिदद में,
फड फडाता रूह मेरी ताकता है।
जब फुर्सत मिले,
तुम, तुम्हारे चाहने और जानने वाले सारे लोग
एक छत के नीचे जमा होकर,
तब तक...
हँसते रहना, बातें करना, रोते रहना, ख़ूब लड़ना,
जब तक सारी बेतुकी ख्वाइशें झुर्रिया बनकर चेहरे पर उभर न जाएँ;
फिर लौट जायेंगे सब अपनी गली,
और नयी सुबह,
बेरुखी जिंदगी से फ़ासला कम हो जाएगा।
Saturday, January 23, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)
हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...
-
कल ऑफिस से लौटा तो अगस्त्य ने दरवाज़े पर आकर अपनी अस्पष्ट भाषा में चिल्लाते हुए स्वागत किया| उत्तर में मैंने दोगुनी आवाज़ में बेतुके वाक्य चीख़...
-
It was 9th of may 2008. I was expecting the clouds to rain heavily and the winds to shove me hard. My anticipations and desires to look othe...
-
जब कभी, मेरे पैमाने में, ख्वाइशों के कुछ बूंद छलक जाती हैं, तुम्हारी यादों की खुशबू, बहकी हुई हवाओं की तरह, मेरे साँसों में बिखर जाती हैं, ...