Saturday, May 05, 2012

किसे चाहिए?

रोटी, कपडा और मकान
खद्दर की लंगोटी, मीठा बनारसी पान
दो जून का चूल्हा,
बड़ा खुला मचान
किसे चाहिए? किसे चाहिए?

Generation बदल गया हैचाहते बदल गयी हैं
सेक्स, पैसा और दारु की दूकान
Virtual इश्क़, Search-ual ज्ञान
भाड़ में जाए सभ्यता,
संस्कृति दारु में डूब जाए विज्ञान

किसे चाहिए? किसे चाहिए?

चूहों को ज़हर देना ज़रूरी है

चूहों को ज़हर का डर ना हो तो,
क्रांति और इंक़लाब की बातें करने लगते हैं;
अचानक से किसी एक चूहे को
आज़ादी की भूख़ लग जाती है,
और उसकी भूख़ ख़ा जाती है, बाकी चूहों की सोच को


Physics जितना mass पर act करता है,
उतना ही सोच पर भी;
श्रृष्टि हर श्रृजन को अंडाकार बना देती है
ग्रहों को देखा है,
oval होते जाते हैं, और oval रस्ते पर घूमते जाते हैं;
सोच का भी वही खेल है.


एक चूहे की इन्क़लाबी सोच,
हज़ार चूहों को gravitationally pull करती है;
हवस का wave resonate करता है ,
फिर सब कुछ oval ही oval;
चूहे इन्क़लाबी हो जाते हैं.


Democracy में ज़हर देना जरूरी है
एक सिक्का, 
धीरे धीरे aluminium वाले पत्तों को पिघलाता रहता है 
hydrogen sulphate की तरह 
aluminium नहीं रहेगा, तो कटोरा कौन बनाएगा
भूख़ लगेगी तो क्रांति पनपेगी 
चूहों को ज़हर देना ज़रूरी है 

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...