सिगरेट के छल्लों से जलने की ख्वाइश,
ख्वाबो के शीशे का बेदर्द चनकना,
काले छल्लों की निष्प्राण दुनिया है मेरी,
बेतुके शब्द बुदबुदाता हूँ दिनभर ।
धक्के लगा कर गिरा दो मुझे,
बेइज्जत खुले आम कर रुझा लो मुझे,
पिछली महफ़िल मैं कीडा बना था,
इसबार कुचल के रुला दो मुझे।
पन्ने पलटता हूँ, फिर बेचैन होकर,
बिस्तर से दरवाजा, दरवाज़े से बिस्तर,
गीली स्याही सताती है मुझको,
कभी आइना हँसता है दिनभर...
उजली दीवारें ,काला सा चक्का,
रेशम के कपडे, गुलाबी सी दुनिया;
जलाकर फिर से बुझाता रहूंगा,
तुम्हारी बस्ती मे, मेरी दोस्ती है;
हंसी अपनी उड़वाने जाता रहूंगा,
सिगरेट मेरी जलती है जबतक,
ख्वाओं को तब तक जलाता रहूंगा..