यूँ तो अक्सर,
संवेदनाएं...
हावी तुमपर रहती हैं,
पर,
इस शाम जन्मे,
अपने बेचैनी के अनल में,
मुझको चुपके झोंक देना;
पन्नो में सिलवट पड़े तो,
शब्द,
विचारों से लड़ पड़ेंगे,
कर दफ़न मेरी ख्वाइशें,
तुम युद्ध को बस रोक लेना...
संवेदनाएं...
हावी तुमपर रहती हैं,
पर,
इस शाम जन्मे,
अपने बेचैनी के अनल में,
मुझको चुपके झोंक देना;
पन्नो में सिलवट पड़े तो,
शब्द,
विचारों से लड़ पड़ेंगे,
कर दफ़न मेरी ख्वाइशें,
तुम युद्ध को बस रोक लेना...