कोई ऐसे भी तो हमसे मिले कभी कभी,
कि बेवजह ही उनसे मुहब्बत होती जाए
मौसम में बेताबी के छीटें कुछ एक गिरें
शरारत हमारी सारी शराफ़ात होती जाए
ख्यालों की हर कशिश, दुआओं में हो कबूल
ख्वाबों की ऐसी कभी गुज़ारिश होती जाए
कोई ऐसे भी तो हमसे मिले कभी कभी,
कि बदनामी हमारी शोहरत होती जाए
कोई ऐसे भी तो हमसे मिले कभी कभी,
कि बेवजह ही उनसे मुहब्बत होती जाए
मौसम में बेताबी के छीटें कुछ एक गिरें
शरारत हमारी सारी शराफ़ात होती जाए
ख्यालों की हर कशिश, दुआओं में हो कबूल
ख्वाबों की ऐसी कभी गुज़ारिश होती जाए
कोई ऐसे भी तो हमसे मिले कभी कभी,
कि बदनामी हमारी शोहरत होती जाए
कि बेवजह ही उनसे मुहब्बत होती जाए
मौसम में बेताबी के छीटें कुछ एक गिरें
शरारत हमारी सारी शराफ़ात होती जाए
ख्यालों की हर कशिश, दुआओं में हो कबूल
ख्वाबों की ऐसी कभी गुज़ारिश होती जाए
कोई ऐसे भी तो हमसे मिले कभी कभी,
कि बदनामी हमारी शोहरत होती जाए