कल ऑफिस से लौटा तो अगस्त्य ने दरवाज़े पर आकर अपनी अस्पष्ट भाषा में चिल्लाते हुए स्वागत किया| उत्तर में मैंने दोगुनी आवाज़ में बेतुके वाक्य चीख़ कर उसका अभिवादन किया| प्रतिउत्तर में चौगुनी आवाज़ में चार टूटे फूटे वक्तव्य रख दिए गए| उसके पश्चात तीन सेकंड की शान्ति और ढेर सारी हंसी
Saturday, December 11, 2021
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हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...
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कल ऑफिस से लौटा तो अगस्त्य ने दरवाज़े पर आकर अपनी अस्पष्ट भाषा में चिल्लाते हुए स्वागत किया| उत्तर में मैंने दोगुनी आवाज़ में बेतुके वाक्य चीख़...
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जब कभी, मेरे पैमाने में, ख्वाइशों के कुछ बूंद छलक जाती हैं, तुम्हारी यादों की खुशबू, बहकी हुई हवाओं की तरह, मेरे साँसों में बिखर जाती हैं, ...
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जो हैं नहीं वो चेहरा दिखलाये जा रहे हैं अपने से आईने को झुठलाए जा रहे हैं निकले थे भीड़ में बनने को हम मदारी मेले की डुगडुगी पर लहराए जा र...