बढती हुई इमारतें
पथरीली शुष्क इबादतें
जगती बेजान सड़क
पेट्रोल के जिस्म की महक
हँसते हुए मशीन
चौराहे - धूमिल गमगीन;
स्वस्थ कचड़े का पहाड़,
नाले के उस पार
सांस लेते छल्ले
इश्क़ फरमाते दल्ले
Generators के ठहाके
Computers के इलाके
शहर में हर निर्जीव जिंदा है, पर
आदमी की आत्मा मर गयी