शहर में गले मिल मिलकर ,
मेरी आदत बिगड़ गयी है,
गली में भौकता कुत्ता भी अब,
मुझे सगा सा लगता है॥
दरबाजो पर दस्तक देता हूँ उनके,
अंदर फिर कब्रिस्तान दिखता है,
मैं गलियों में बस खोजता हूँ कोना,
मेरी आदत बिगड़ गयी है,
गली में भौकता कुत्ता भी अब,
मुझे सगा सा लगता है॥
दरबाजो पर दस्तक देता हूँ उनके,
अंदर फिर कब्रिस्तान दिखता है,
मैं गलियों में बस खोजता हूँ कोना,
जन्हा कुछ ख़ुशी बिकता है..
8 comments:
ohhhhhhhhhhh....so muchh of spelling mistakes
guuud one dude....
doosri waali to samajh me hi nahi aayi...hehe
guuud one dude....
doosri waali to samajh me hi nahi aayi...hehe
@amrita internet explorer par misake nahi hoga
@mirror thanx.second one is bout all those who dream high,talk high and then cease later
fundoo :)
haha.. kuch mixed bag of emotions tha jo samajh nahi aya.. but well said
:) thanks @abhishek khanna
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