आग में जलता चमकता इक चांद ठण्डा हो गया,
महफिलों में सजते- सजाते गन्दा अचानक हो गया।
कीचड़ में कमल पर चमकने को बेताब था,
कमल ना खिलने के भय से;
चुपचाप से वो सो गया।
विचारों की कच्ची सड़क पर,
पूल बनाने वाले बहुत हैं,
आधे रस्ते दौड़ कर ही अक्सर,
साँसे उनकी फूल जाती है।
नदियां पहाडो पर बहुत ही शोर करती है,
नीचे आते आते वो जज्बा सूख जाता है॥
सुबह को ताकना सूरज, अच्छी नींद दे भी दे,
तुमने पर कडी धूप का सोचा था;
अच्छी नींद ही प्यारी इतनी लगती है,
तो चौराहे के कुत्तों के संग सोया करो..
महफिलों में सजते- सजाते गन्दा अचानक हो गया।
कीचड़ में कमल पर चमकने को बेताब था,
कमल ना खिलने के भय से;
चुपचाप से वो सो गया।
विचारों की कच्ची सड़क पर,
पूल बनाने वाले बहुत हैं,
आधे रस्ते दौड़ कर ही अक्सर,
साँसे उनकी फूल जाती है।
नदियां पहाडो पर बहुत ही शोर करती है,
नीचे आते आते वो जज्बा सूख जाता है॥
सुबह को ताकना सूरज, अच्छी नींद दे भी दे,
तुमने पर कडी धूप का सोचा था;
अच्छी नींद ही प्यारी इतनी लगती है,
तो चौराहे के कुत्तों के संग सोया करो..
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