चिता के आहट से पहले
राख कैसे छा गया ?
वक्त का दीमक ये कब
परिंदे का पर खा गया ?
जाल को जुगनू ने ही चुना था,
अब छिप गया क्यूँ खाल में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
भीड़ की हर शाखों पर,
फन्दों सी लटकी है क्यूँ टाई ?
सुलझे फीते वाले जूते,
कब भेंट दे गएँ तन्हाई ?
पंख वाले बुलबुलों ये कैसे ?
दब गएँ दीवारों में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
तनहा रोकर बारिशों में,
हौले हौले जल रहा,
तारों का सपना कभी था,
आज मैं ही ढल रहा...
राख कैसे छा गया ?
वक्त का दीमक ये कब
परिंदे का पर खा गया ?
जाल को जुगनू ने ही चुना था,
अब छिप गया क्यूँ खाल में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
भीड़ की हर शाखों पर,
फन्दों सी लटकी है क्यूँ टाई ?
सुलझे फीते वाले जूते,
कब भेंट दे गएँ तन्हाई ?
पंख वाले बुलबुलों ये कैसे ?
दब गएँ दीवारों में ?
बुझने दो मेरी ख्वाईशें
रखा है क्या इन सवालों में...
तनहा रोकर बारिशों में,
हौले हौले जल रहा,
तारों का सपना कभी था,
आज मैं ही ढल रहा...
2 comments:
GR8 WORK DUDE..
raj is back!
bACK AGAIN..
hE'LL KICK some ass..
Blog again!!!
just too gud.... meri favorite....
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