Saturday, March 02, 2024

फोमो

चल रही थी ज़िन्दगी बड़ी चैन से

दिख रहा था सब सुनहरा नैन से 

बेवज़ह जो बाँध ली 'फोमो' की घंटी 

उड़ गयी सब नींद दिन से रैन से 

*************************************

ये हुआ मिस, वो भी करना रह गया 

ROI उठाने का भी मौका बह गया 

कांफ्रेंस में देर तक चर्चा चली 

फेसबुक पर देख कर सब सह गया 

*************************************

फोमो की चासनी में छन रही है ज़िन्दगी 

पतीले में चाय सी उफन रही है ज़िन्दगी

दूसरों की ज़िन्दगी को देख कर बेचैन है 

'एक्सप्लोर' से कॉपी पेस्ट बन रही है ज़िन्दगी


No comments:

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...