कुछ शौक को दफ़न करके, नया शौक पाल लेते हैं.
कुछ ज़ख्म को छिपाकर, नया ज़ख्म डाल लेते हैं.
इस शहर का सुनसान कँही अपनी गुफ़्तगू सुन न लें,
चलो संदूक से नयी शक्ल, नयी पोशाक निकाल लेते हैं.
हर शख्स का चेहरा मिलता है हुबहू,
हर ख्वाइशों की चादर का रकबा भी एक है, रकबा - Area
कुछ सरफिरों ने चंद आसमानी तस्वीरें खींच ली,
इस शहर में आइना नहीं बिकता,
बाज़ार में खीचें गए तस्वीरें बिकते हैं.
आँखों में बेबसी की झलक,
माथे पर दरारें क्यूँ हैं,
इस नस्ल में आख़िर
सभी थके-हारे से क्यूँ हैं,
ये रंगीन शहर कभी बुझता ही नहीं है.
हर लाश के दरमयां, ये दीवारें क्यूँ हैं.
हर शख्स का चेहरा मिलता है हुबहू,
हर ख्वाइशों की चादर का रकबा भी एक है, रकबा - Area
कुछ सरफिरों ने चंद आसमानी तस्वीरें खींच ली,
इस शहर में आइना नहीं बिकता,
बाज़ार में खीचें गए तस्वीरें बिकते हैं.
आँखों में बेबसी की झलक,
माथे पर दरारें क्यूँ हैं,
इस नस्ल में आख़िर
सभी थके-हारे से क्यूँ हैं,
ये रंगीन शहर कभी बुझता ही नहीं है.
हर लाश के दरमयां, ये दीवारें क्यूँ हैं.
3 comments:
wow...simply wow!!!
how r you BOY?
superb...
First stanza won the heart!
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