गुड़हल की वो टहनी थी ना?
जो पिछले तीनों मौसम से
अवसाद में झूल रही थी
उसके जर्जर जोड़ों पर
हरी फ़ुनगी यूँ निकली है
जैसे स्कूल के रिक्शा पर
लटक के बच्चे जाते हैं
लटक के बच्चे आते हैं
जो पिछले तीनों मौसम से
अवसाद में झूल रही थी
उसके जर्जर जोड़ों पर
हरी फ़ुनगी यूँ निकली है
जैसे स्कूल के रिक्शा पर
लटक के बच्चे जाते हैं
लटक के बच्चे आते हैं
1 comment:
शानदार!
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