आत्माएं नहीं मरती हैं, ज़मीर को भी मत मारिये
इक दिन शांति फैलेगी, इतनी जल्दी मत हारिये
मिटटी घड़े बनाती है, कीचड़ पर पत्थर मत मारिये
सब सुधरेगा जग सुधरेगा, अपनी गलती भी सुधारिए
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...
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