आम आदमी,
तमाम आदमी
राशन की दुकान में खड़ा
पेट के लिए struggle करता गुमनाम आदमी;
इलेक्शन के पहले, बकरे के दाम आदमी
और इलेक्शन के बाद बनता हुआ, ज़ुकाम आदमी
कभी कुर्सी, कभी जाति, कभी भगवान् के नाम पर
मरता, कटता बदनाम आदमी
हिंदी लिखी नहीं जाती,
अंग्रेजी bottle से निगल जाता कई जाम आदमी
दोपहर में भटकता खोजता है,
परिवार की रात, परिवार की शाम ...आदमी
आम आदमी,
तमाम आदमी
1 comment:
atik aur sathak bahv
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