धर्म
आपके और मेरे भगवान् में इतना फ़रक क्यूँ है?
धर्म और जाति की हमें इतनी ठरक क्यूँ है ?
आपने स्वर्ग की तमन्ना में ग्रन्थ तो लिख दिया,
'उसके' लिए सजाया सबकुछ नरक क्यूँ है?
आत्मा
आत्माएं नहीं मरती हैं, ज़मीर को भी मत मारिये
इक दिन शांति फैलेगी, इतनी जल्दी मत हारिये
मिटटी घड़े बनाती है, कीचड़ पर पत्थर मत मारिये
सब सुधरेगा जग सुधरेगा, अपनी गलती भी सुधारिये
मसीहा
नमक मिरच लगाकर ख़बर छौंक आते हैं
इक बड़ा झूंड बनाकर तनिक भौंक आते हैं
मसीहों को दामन में ज़िल्लत ही मिला है
किसी बेबस-बेसहारा को यूँ ही हौंक आते हैं
आपके और मेरे भगवान् में इतना फ़रक क्यूँ है?
धर्म और जाति की हमें इतनी ठरक क्यूँ है ?
आपने स्वर्ग की तमन्ना में ग्रन्थ तो लिख दिया,
'उसके' लिए सजाया सबकुछ नरक क्यूँ है?
आत्मा
आत्माएं नहीं मरती हैं, ज़मीर को भी मत मारिये
इक दिन शांति फैलेगी, इतनी जल्दी मत हारिये
मिटटी घड़े बनाती है, कीचड़ पर पत्थर मत मारिये
सब सुधरेगा जग सुधरेगा, अपनी गलती भी सुधारिये
मसीहा
नमक मिरच लगाकर ख़बर छौंक आते हैं
इक बड़ा झूंड बनाकर तनिक भौंक आते हैं
मसीहों को दामन में ज़िल्लत ही मिला है
किसी बेबस-बेसहारा को यूँ ही हौंक आते हैं
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