Tuesday, June 05, 2012

फट्टू हूँ मैं



फट्टू हूँ,
मदारी है दुनिया,
घूमता हुआ लट्टू हूँ
फट्टू हूँ...

समाज का, अनाज का
अस्तित्व का, रिवाज़ का
टट्टू हूँ.
सुबह से Programmed...शाम तक बजता हुआ रेडियो;
रट्टू हूँ...
फट्टू हूँ

कभी नौकरी का मोहताज़, कभी appraisal का
पैसे से लेकर, जिंदगी के हर ख्वाइश के लिए
चट्टू हूँ

ज़हर से पेट नहीं भरता है,
खाते पीतों को देख कर,माँ-बहन करने वाला
नज़र-बट्टू हूँ मैं

 फट्टू हूँ मैं

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...