दो alien
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे
शुन्य की बातें,
शुन्य सी बातें,
बनती थी, फिर
गुब्बारें बनकर अनंत में उड़ जाती थीं
दो alien
रात भर,
गुब्बारों की फूंक में भरे रहें
सुलझे धागे
उलझे हिस्से
दांत कांटे जूठे किस्से
तेरे प्याले की चाय बहुत नशीली थी
रात चुस्कियों की नरमी में बीत गयी
दो alien
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे
शुन्य की बातें,
शुन्य सी बातें,
बनती थी, फिर
गुब्बारें बनकर अनंत में उड़ जाती थीं
दो alien
रात भर,
गुब्बारों की फूंक में भरे रहें
सुलझे धागे
उलझे हिस्से
दांत कांटे जूठे किस्से
तेरे प्याले की चाय बहुत नशीली थी
रात चुस्कियों की नरमी में बीत गयी
दो alien
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे
2 comments:
alien भी लिखता होगा एक इंसान हमें देखता रहा lamp post के नीचे बैठे हुए..:)
दो alien
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे
अद्भुत तस्वीर खींची है आपने. कथ्य नया है मगर दिल को छू लेने वाला!
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