वक़्त कितने भी ठिकाने ले
"क़ल्ब" अब तक College में भटकता रहता है
उम्र नयी शौक, नए मिजाज़ से खेल ले
ज़ेहन में आज भी मेरे लेकिन,
उन्ही ख्यालों का ज़िक्र अटकता रहता है
शहर बदल गया है,
"क़ल्ब" अब तक College में भटकता रहता है
उम्र नयी शौक, नए मिजाज़ से खेल ले
ज़ेहन में आज भी मेरे लेकिन,
उन्ही ख्यालों का ज़िक्र अटकता रहता है
शहर बदल गया है,
तारीख़ भी लुढ़कती हुई काफ़ी आगे बढ़ चुकी है
ज़िन्दगी ने अपने तौर तरीके बदल लिए हैं
और एक हम हैं
Engineering College के माहौल से निकल नहीं पातें
आलिम कहता है, दुनिया के दस्तूर में ढल जाओ
और हम इन ख्यालों को निगल नहीं पातें
आवाम को मेरे बेतुके ख्यालों का फ़िक्र खटकता रहता है
ज़ेहन में आज भी मेरे लेकिन,
उन्ही ख्यालों का ज़िक्र अटकता रहता है
1 comment:
Itni asani se kaise bhool jayenge wo 4 saal :)
Bahut khoob...
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