Friday, February 18, 2011
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हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...
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कल ऑफिस से लौटा तो अगस्त्य ने दरवाज़े पर आकर अपनी अस्पष्ट भाषा में चिल्लाते हुए स्वागत किया| उत्तर में मैंने दोगुनी आवाज़ में बेतुके वाक्य चीख़...
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जब कभी, मेरे पैमाने में, ख्वाइशों के कुछ बूंद छलक जाती हैं, तुम्हारी यादों की खुशबू, बहकी हुई हवाओं की तरह, मेरे साँसों में बिखर जाती हैं, ...
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It was 9th of may 2008. I was expecting the clouds to rain heavily and the winds to shove me hard. My anticipations and desires to look othe...
3 comments:
wah bhawpoorn rachana.
badhai swikare.
im not even hindi-speakin n yet i enjoy ur poems so much, u should consider publishing them
बहुत सुंदर रचना .बाधाई
कभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपनी एक नज़र डालें,
कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये.
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