बूझते चिरागों की बेबसी में,
ख्वाइश का साया खोने लगा है।
किताबों की दुनिया का बेखौफ़ ज़ज्बा,
बूझी राख़ बन कर सोने लगा है।
अंधेरे में लिपटे आइनों की हँसी से,
यादों की तस्वीर जलने लगी है,
मैखाने में छिप के रोने गया था,
शहर में मातम भी बिकने लगा है।
इस रात वक्त क्यूँ थम गया है?
सुबह तक मैं भी ढल पडूंगा,
बासी रोटी निगलकर भूख मर गई अगर,
सुनसान गलियों में चल पडूंगा।
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हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे
हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो हम लड़ेंगे युद्...
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Y - What?... Philosophy ! You mean to say, you spent your whole graduation sitting near by the banks of Ganges, intoxicated in some damn fu...
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जब कभी, मेरे पैमाने में, ख्वाइशों के कुछ बूंद छलक जाती हैं, तुम्हारी यादों की खुशबू, बहकी हुई हवाओं की तरह, मेरे साँसों में बिखर जाती हैं, ...
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यूँ तो अक्सर, संवेदनाएं... हावी तुमपर रहती हैं, पर, इस शाम जन्मे, अपने बेचैनी के अनल में, मुझको चुपके झोंक देना; पन्नो में सिलवट पड़े तो, शब्...
1 comment:
In fighting their is a jinx called neutral jinx.............
thanks for realizing me that it is also a technique
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