Sunday, May 17, 2009

जिदद




















खण्डहर
के सख्त टूटे जिस्म में,
उस कोने में,
गर्द की परतों के निचे,
एक चिराग़ दफ़न था;
उसके अरमानों की नब्ज,
ख़यालों के कश्मकश में दम तोड़ने लगी थी।

तुम्हारी फूँक ने शायद,
चिराग़ में रौशनी डाल दी है।

अब,
खण्डहर
की जिदद है कि,
तुम्हारा एहसास
पुराने किस्सों की तरह,
ख्वाइशों के जिन्न को जगा सकता है।

4 comments:

वीनस केसरी said...

दिल को छूती चन्द लाइने जिनको पढ कर सुकून मिला
वीनस केसरी

वर्तिका said...

awesome..... i simply loved it.........:)

ये किसका जादू है जो यूँ नज़्म बन बिखर रहा है .... :)

anuj-life said...

tumhare fukh ne iss chirag mein roshene to daal de...par ..par..iss chirag ke sammha ko jalaye rakhne vala teil kha se aayega..

Abhilasha said...

i don't understant lots of hindi .... but really loved this one

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