ना पढ़ी है गीता मैंने,
ना वेदों का मुझे ज्ञान है
जानता ये भी नहीं कि
कितने सारे भगवान् हैं
ना कोई पैग़म्बर है मेरा
ना नियत धार्मिक संस्थान है
मानता ये भी नहीं कि
सर्वश्रेष्ठ कोई प्रतिष्ठान है
मैं गंगा हूँ, कावेरी हूँ
मैं सतलज हूँ, मैं सिन्धु हूँ
सदियों से चलता आया हूँ
मैं भारत का एक हिन्दू हूँ
मंदिरों में जाता हूँ मैं, मगर
दरगाहों पर भी सर मेरा झुक जाता है
पूजाओं में भीड़ मेरी जुटती है, लेकिन
गुरुद्वारों में भी पांव मेरा रूक जाता है
श्लोक और मंत्र मुझको आते नहीं हैं
संस्कृत के शब्द मुझसे बोले जाते नहीं हैं
मन मेरा कितना भी मैला हो मगर
प्रार्थनाओं में भाव बुरे आते नहीं हैं
मैं आयत हूँ, मैं त्रिभुज हूँ
मैं परवलय हूँ और मैं बिंदु हूँ
सदियों से ढलता आया हूँ
मैं भारत का एक हिन्दू हूँ
हैं त्रुटियां मेरे समुदाय में,
उन त्रुटियों से लड़ता आया हूँ
गिर गिरकर उठा हूँ लाखों बार
तब ही अस्तित्व बचा पाया हूँ
जो लूटा उसे भी अपनाया है
अपनों से भी जा टकराया है
जब-जब तुम कहते हो मुझे इन्टॉलरेंट
मैंने अपने को छोटा पाया है
मैं ब्राह्मण हूँ, दलित भी हूँ
गुप्ता, चौधरी, गुन्डू हूँ
सदियों से पलता आया हूँ
मैं भारत का एक हिन्दू हूँ
ना वेदों का मुझे ज्ञान है
जानता ये भी नहीं कि
कितने सारे भगवान् हैं
ना कोई पैग़म्बर है मेरा
ना नियत धार्मिक संस्थान है
मानता ये भी नहीं कि
सर्वश्रेष्ठ कोई प्रतिष्ठान है
मैं गंगा हूँ, कावेरी हूँ
मैं सतलज हूँ, मैं सिन्धु हूँ
सदियों से चलता आया हूँ
मैं भारत का एक हिन्दू हूँ
मंदिरों में जाता हूँ मैं, मगर
दरगाहों पर भी सर मेरा झुक जाता है
पूजाओं में भीड़ मेरी जुटती है, लेकिन
गुरुद्वारों में भी पांव मेरा रूक जाता है
श्लोक और मंत्र मुझको आते नहीं हैं
संस्कृत के शब्द मुझसे बोले जाते नहीं हैं
मन मेरा कितना भी मैला हो मगर
प्रार्थनाओं में भाव बुरे आते नहीं हैं
मैं आयत हूँ, मैं त्रिभुज हूँ
मैं परवलय हूँ और मैं बिंदु हूँ
सदियों से ढलता आया हूँ
मैं भारत का एक हिन्दू हूँ
हैं त्रुटियां मेरे समुदाय में,
उन त्रुटियों से लड़ता आया हूँ
गिर गिरकर उठा हूँ लाखों बार
तब ही अस्तित्व बचा पाया हूँ
जो लूटा उसे भी अपनाया है
अपनों से भी जा टकराया है
जब-जब तुम कहते हो मुझे इन्टॉलरेंट
मैंने अपने को छोटा पाया है
मैं ब्राह्मण हूँ, दलित भी हूँ
गुप्ता, चौधरी, गुन्डू हूँ
सदियों से पलता आया हूँ
मैं भारत का एक हिन्दू हूँ