आलिम के दस्तूर से बेफ़िक्र,
जब मैं नहीं बोलता, "मय" बोलता है
डरता हूँ,
कहीं दबी हुई चिंगारी हंगामा न मचा दे.
महफ़िल को शादाब करने की ख्वाइशें
कहीं बस्ती न जला दें.
मेरी स्याही की पैमानों में,
कई रेशमी किस्से उलझे हैं;
मैं सारे अपने किस्सों को, बेज़बान झोले में रखता हूँ
जब मैं नहीं बोलता, "मय" बोलता है
डरता हूँ,
कहीं किस्सों की समझ,
स्याही को बदनाम न करा दे
1 comment:
lovely!
DOn't be scared...kisse ki samajh syahi ho kabhi banaam nahi karti..
kissa ko us syahi se na likho to hoti hai uski beizzati!
i hope you got my point!
keep up the good work :)
thanks for dropping by...
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