कांधे पर तेरे ओस के शायद बूंद पड़े थें
या जुल्फों से जैसे,
कुछ सपने मेरी आँखों में छलक गए थें;
सब टेढ़ा मेढ़ा दिखता था,
तुमने बोला Lines नहीं सीधे हैं.
खुली दीवारों में,
आसमान के रंगों सी परतें
मानो बचपन हौले हौले झूल रही थी
तुमने बोला Lines नहीं सीधे हैं.
कभी मैं हँसता,
कभी तुम हँसती
दो आईने सोच सोच कर सबकुछ भूल रहे थें
Icecream के टुकड़ों में 'कच्छ' भूली बातें
पिघल पिघल कर lawn में टेढ़े गिरते थें;
तुमने बोला Lines नहीं सीधे हैं.
दो आवारा, बंजारों से,
चाय की प्याली घोल रहे थें
सब टेढ़ा मेढ़ा दिखता था,
तुमने बोला Lines नहीं सीधे हैं.
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