रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ,
होकर खफा छिप गए हो तुम,
कैसे ढ़ूंढ़ के लाऊं;
रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ॥
बादल के पीछे बैठे हो तुम,
तारें मुझको चिधायें,
पतझड़ सी सूनी बगिया मेरी,
आशू कैसे छिपाउन
रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ,
तुम ही हो सुबह मेरे,
तुम शाम की झलक भी हो,
तेरे दर्द से बेचैन है दिल,
कैसे इसे समझाऊं,
रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ....
कैसे उनको मनाऊँ,
होकर खफा छिप गए हो तुम,
कैसे ढ़ूंढ़ के लाऊं;
रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ॥
बादल के पीछे बैठे हो तुम,
तारें मुझको चिधायें,
पतझड़ सी सूनी बगिया मेरी,
आशू कैसे छिपाउन
रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ,
तुम ही हो सुबह मेरे,
तुम शाम की झलक भी हो,
तेरे दर्द से बेचैन है दिल,
कैसे इसे समझाऊं,
रूठे हैं मुझसे नयना तेरे,
कैसे उनको मनाऊँ....
2 comments:
i`m your permanent reader now
:) Thanks. I would have liked to know your name
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