Tuesday, September 18, 2018

लिखो

लिखो तो ख़ुद को खोल कर लिखो 
सतहें छिल कर लिखो, 
आत्मा निचोड़ कर लिखो  
ढकोसले से भरी दनियादारी पर लिखो
तरस आ जाये तो लाचारी पर लिखो 

प्रेम को प्रेम लिखो
दर्द को दर्द लिखो
चाह को चाह लिखो  
घुटन को घुटन लिखो  

भीड़ में भरी उबासी पर लिखो 
हारे हुए मुहब्बत की उदासी पर लिखो 
लालच में डूबे समाज पर लिखो 
जोंक की तरह खून चूसते रिवाज़ पर लिखो 

लिखो तो यूँ लिखो कि 
लिखने वाले भी बस तुम, 
पढ़ने वाले भी बस तुम; 
लिखो कि सुई की तरह लिखो 
जो मवाद से भरे घाव को एक बार में फोड़ दे  

Saturday, September 08, 2018

वक़्त बीता, उम्र बीती और कुछ यूँ हुआ
भीड़ से बचते बचाते भीड़ सा मैं हो गया

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...