उस शहर में आशियाँ क्या ख़ाक बनायेंगे
जिस शहर में झुग्गियों तले खून ना बहे
बुलडोज़रो से सपने कुचल दिए जाये जहाँ
गिद्ध को नाचते देखे बगैर सुकून ना रहे
शांति और सभ्यता तो दकियानूसी बाते हैं
कब्र है वो, जहाँ दरिंदगी का जूनून ना रहे
उस शहर में आशियाँ क्या ख़ाक बनायेंगे
जिस शहर में झुग्गियों तले खून ना बहे