Monday, May 14, 2018

बेतुकी बातें

आज कुछ बेतुकी बातें करते हैं
पंछियों की, बादलों की
बर्फ़ की, समंदर की
बिस्तर की तरह फैले हुए हरे मैदानों की
सुस्त पहाड़ों की, अलसाए रेगिस्तानों की

उस पेड़ की,
जिसकी पत्तियां
बारिशों में सब कुछ उतारकर
सूफ़ी संतों की तरह
मदमस्त गोल गोल घूमते जाती हैं

उस मासूम बच्चे की,
जिसकी आँखें
अजनबियों को थोड़ी देर ताकती हैं
फिर अपनी जादुई कहानियों का
हिस्सा बना लेती हैं

आज कुछ बेतुकी बातें करते हैं
रोमियो की, जूलियट की
राज की, सिमरन की
ट्रेन से उतरती हुई उस लड़की की
जिसने पीछे वाली सीट पर बैठे हुए लड़के को
पहली बार देखा था
आँखें मिली थी, आँखें झुकी थी
बातें शुरू होने के पहले
लड़की का स्टॉप आ गया था

आज कुछ बेतुकी बातें करते हैं
उस प्रेमिका की,
जिसने अपने प्रेमी से बिछड़ने से पहले
उसका नाम
अपने हाथों पर गुदवा लिया था
और अपना नाम भूल गयी थी
उस प्रेमी की
जिसे अभी भी इंतज़ार है
अपनी प्रेमिका का,
जिससे आख़िरी बार मिलने से पहले
उसने फिर से मिलने का वायदा किया था

आज कुछ बेतुकी बातें करते हैं
सड़कों की, फुटपाथों की
उजड़े स्टेशन पर लटके हुए
बेजान बीमार प्लेटफॉर्मों की
उस ग़रीब बच्चे की
जिसकी पढ़ाई
शर्ट, पैंट, जूते, टाई पहनकर
स्कूल जाते हुए दुसरे बच्चों को देखकर
शुरू होती है
और स्कूल से उन्हें आते देख कर
ख़त्म भी हो जाती है

उस माँ की
जिसके कमर पर
उसके शराबी पति के बेल्ट का निशान है
और उसकी बहू के चेहरे पर
उसके शराबी बेटे के थप्पड़ का निशान
इंतज़ार कर रहा है

आज कुछ बेतुकी बातें करते हैं
maturity वाली बातें कल कर लेंगे

Thursday, May 10, 2018

साधारण

आदम और हव्वा
पानी की तरह उट्ठेंगे,और, 
पानी में पानी बनकर 
पानी में बह जायेंगे

आदम और हव्वा
भीड़ में लेंगे जन्म, और, 
भीड़ में बनकर भीड़ 
भीड़ में ही खो जायेंगे

आदम और हव्वा
दुनिया में आते भी जायेंगे, और 
दुनिया के नक़्शों पर चलकर 
दुनिया से जाते भी जायेंगे

फीकी दुनिया के मेले में,
तुम से उम्मीदें थी काफी 
लेकिन, मेरे दोस्त, 
तुम भी, 
मेरी तरह साधारण निकले

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...