Wednesday, June 27, 2012

shawl

रास्ते खो जायें कहीं ना,
धुएँ की ख़ामोशी में...
शाम कब मूह फेर लेगा 
अनकही मदहोशी में

मौला तूने महताब देकर 
रात के आँचल की बदनामी बचा ली
मौला तूने हालह के नूर से
अब्र की अनकही गुमनामी छिपा ली

यार मौला,
मैं भी ख़ुद की शोर में, कहीं खो गया हूँ
इस अमावस मेरे सर पर भी
'shawl' रख देना

ये पुलिया थोड़ी लम्बी है   
  

Wednesday, June 13, 2012

दो alien
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे

शुन्य की बातें,
शुन्य सी बातें,
बनती थी, फिर
गुब्बारें बनकर अनंत में उड़ जाती थीं
दो alien
रात भर,
गुब्बारों की फूंक में भरे रहें

सुलझे धागे
उलझे हिस्से
दांत कांटे जूठे किस्से

तेरे प्याले की चाय बहुत नशीली थी
रात चुस्कियों की नरमी में बीत गयी

दो alien
रात भर बैठे रहें,
lamp post के नीचे

Resonance

किलकारियों से शुरू होकर,
कराहों में ख़त्म हो जाती है
बीच में यौवन का रूमानी 'आह आह'
और तूफानी 'वाह वाह'
कमाल का music system बनाया है उपरवाले 
उम्र के resonance में बजता है

Thursday, June 07, 2012

Twinkle Twinkle little star

Twinkle Twinkle little star
education गया भाड़ में, 
डाल दिया आचार

पैसा ही दोस्ती, पैसा ही प्यार
someone asked me reasons 
who the fuck you are?

Humpty Dumpty sat on a wall 
Imagination की माँ का...
बंद करो ये बबाल

काहे का poem, काहे का ताल
Share some dirty jokes
I will say lol

Baba black sheep have you any wool
रटते रहो syllabus,
बेटा ...वही है school

Engineering करो, फिर finance पढो
did you say passion ?
Are you a fool

Twinkle Twinkle little star
education गया भाड़ में,
डाल दिया आचार

धर्म , आत्मा, मसीहा

धर्म  


आपके और मेरे भगवान् में इतना फ़रक क्यूँ है?
धर्म और जाति की हमें इतनी ठरक क्यूँ है ?
आपने स्वर्ग की तमन्ना में ग्रन्थ तो लिख दिया,
'उसके' लिए सजाया सबकुछ नरक क्यूँ है?


आत्मा


आत्माएं नहीं मरती हैं, ज़मीर को भी मत मारिये
इक दिन शांति फैलेगी, इतनी जल्दी मत हारिये 

मिटटी घड़े बनाती है, कीचड़ पर पत्थर मत मारिये
सब सुधरेगा जग सुधरेगा, अपनी गलती भी सुधारिये 



मसीहा

नमक मिरच लगाकर ख़बर छौंक आते हैं
इक बड़ा झूंड बनाकर तनिक भौंक आते हैं
मसीहों को दामन में ज़िल्लत ही मिला है 
किसी बेबस-बेसहारा को यूँ ही हौंक आते हैं 

Tuesday, June 05, 2012

फट्टू हूँ मैं



फट्टू हूँ,
मदारी है दुनिया,
घूमता हुआ लट्टू हूँ
फट्टू हूँ...

समाज का, अनाज का
अस्तित्व का, रिवाज़ का
टट्टू हूँ.
सुबह से Programmed...शाम तक बजता हुआ रेडियो;
रट्टू हूँ...
फट्टू हूँ

कभी नौकरी का मोहताज़, कभी appraisal का
पैसे से लेकर, जिंदगी के हर ख्वाइश के लिए
चट्टू हूँ

ज़हर से पेट नहीं भरता है,
खाते पीतों को देख कर,माँ-बहन करने वाला
नज़र-बट्टू हूँ मैं

 फट्टू हूँ मैं

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...