Friday, October 09, 2009

कल आधी रात

कल आधी रात,
इक कतरा चाँद, एक तिनका अरमां
हौले, हौले पिघलकर,
पैमाने में छलक गयें;

कल आधी रात,
इक टुकड़ा अब्र, और कुछ बिखरे तारे,
सतरंगी बनकर
मुझमे बहक गयें।

पॉकेट में थे, मेरे,
कुछ सिक्के पुराने,
और
मुट्ठी भर बटोरे, कुछ चमकीले पत्थर।
आधी विरासत बचपन से बटोरे,
कल आधी रात,
तुम्हे सौंप आया।

तेरे आधे सपने,
मेरी आधी ख्वाइश,
ओस में आधे भीगे पड़े थें।

कल
आधी रात,
एक आधी पायल, और,
आधा सा पिघला रेशम का पत्ता,
एक शाख़ की छाव में,
आधे - आधे लिपट गयें।

कल आधी रात,
आधी तेरी पलकें,
आधी मेरी सासें,
अर्श पर सजी,
इक आधी नज़्म में सिमट गयें...

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...